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शिशु भारती
बच्चों में अनेक गुण एवम् प्रतिभायें हैं जो उसके अंदर सुप्त अवस्था में विद्यमान रहती हैं | अध्ययन के औपचारिक वातावरण से उनका विकास होना कठिन है | अतः ऐसी शक्तियों के प्रकटीकरण के लिए प्राथमिक वर्ग के भैया/ बहिनों के सम्यक विकास हेतु शिशु भारती का एवम् पूर्व माध्यमिक कक्षा के भैया/बहिनों हेतु बाल भारती का गठन होता है | शिशु भारती एवम् बाल भारती के अंतर्गत निम्न पद होते हैं-
इसके अतिरिक्त
आदि विभागों का गठन करके प्रत्येक के लिए भैया / बहिनों को प्रमुख बनाकर आचार्यों के निर्देशन में एक ज़िम्मेदार नागरिक एवम् प्रशासक बनाने का प्रयास किया जाता है| |
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